
अशुभ /प्रतिकूल फल का निर्णय एवं विरोधी भाव ---
हमारे जीवन में घटित अनुकूलता या प्रतिकूलता /सफलता या सफलता आदि पूर्व जन्मों के संचित प्रारब्ध के अनुसार चलता है |जीवन में सदा हमारी अपेक्षा के अनुरूप ही हो संभव नहीं है , कई बार अनुकूल सफलता मिलने पर भी हम आनंदित नहीं रह पाते है |जीवन होने वाली घटना से सुख या प्रफुल्लता मिलेगी या नहीं का विचार कुंडली के अष्टम और द्वादश भाव से किया जाता है क्योकि अष्टम व् द्वादश दुःख या प्रतिकूलता/ अशुभता देने वाले भाव होते है अतः -घटना से जुड़े प्रमुख एवं सहायक भावो के कारक ग्रह यदि द्वादश या अष्टम भाव के कारक हों तो होने वाली घटना से जातक को निराशा या प्रतिकूलता होती है |
विवाह के लिए सातवाँ प्रमुख भाव है तो छठा ,सातवें से १२वा भाव होगा याने ७वे भाव के फलो में अशुभता होगी | वैसे ही ग्यारहवे भावे से दसवा १२ वा होगा /लग्न दुसरे भावे से १२ वा होने से वैवाहिक जीवन में समस्या उत्पन्न करेगा | किस रूप में कैसे करेंगे आगे बतलायेंगे |
सप्तम भाव से १२ वा भाव ६ठा भाव सप्तम के शुभ फलो में प्रतिकूलता या निराशा होगी | वैसे ही पंचम से १२ वा चौथा भाव संतान सुख में निराशा देगा अर्थात या तो घटना नहीं होने देगा या उससे सुख नहीं
मिलेगा |
इसी प्रकार नौकरी के विषय में नियम होगा की षष्ठ भाव का सब लोर्ड या उप नक्षत्र स्वामी - २ ,६ ,१० ११ वे भाव का कारक या सिग्निफिकैटर बन जाये तो नौकरी मिल जाएगी परन्तु यदि वो ही सब लोर्ड १,५,८,९ १२ भावो का कारक भी हो तो नौकरी में अस्थिरता ,अधिकारीयों से नह बन पाना नौकरी से निकाल दिया जाना ,पदोन्नति में रूकावट जैसी समस्याओ का सामना पड़ता है | क्योंकि
५वा भाव ६ठे से १२ वा है |
अष्ठम भाव लग्न से ८ वा है |
९ वा भाव २ रे से ८ वा है |
१२ वा लग्न से १२ वा है |
अतः ८ वा या १२ वा भाव मुख्य कारको के फलो में प्रतिकूलता लाते है |
अतः फलादेश करने के लिए घटना के प्रमुख /सहयोगी भावो के विरोधी भावो का विचार करके ही निर्णय लिया जाना चाहिए |
सप्तम भाव से १२ वा भाव ६ ठा भाव सप्तम के शुभ फलो में प्रतिकूलता या निराशा होगी | वैसे ही पंचम से १२ वा चौथा भाव संतान सुख में निराशा देगा अर्थात या तो घटना नहीं होने देगा या उससे सुख नहीं
मिलेगा |
इसी प्रकार नौकरी के विषय में नियम होगा की षष्ठ भाव का सब लोर्ड या उप नक्षत्र स्वामी - २ ,६ ,१० ११ वे भाव का कारक या सिग्निफिकैटर बन जाये तो नौकरी मिल जाएगी परन्तु यदि वो ही सब लोर्ड १,५,८,९ १२ भावो का कारक भी हो तो नौकरी में अस्थिरता ,अधिकारीयों से नह बन पाना नौकरी से निकाल दिया जाना ,पदोन्नति में रूकावट जैसी समस्याओ का सामना पड़ता है |
अतः फलादेश करने के लिए घटना के प्रमुख /सहयोगी भावो के विरोधी भावो का विचार करके ही निर्णय लिया जाना चाहिए |
मिलेगा |
इसी प्रकार नौकरी के विषय में नियम होगा की षष्ठ भाव का सब लोर्ड या उप नक्षत्र स्वामी - २ ,६ ,१० ११ वे भाव का कारक या सिग्निफिकैटर बन जाये तो नौकरी मिल जाएगी परन्तु यदि वो ही सब लोर्ड १,५,८,९ १२ भावो का कारक भी हो तो नौकरी में अस्थिरता ,अधिकारीयों से नह बन पाना नौकरी से निकाल दिया जाना ,पदोन्नति में रूकावट जैसी समस्याओ का सामना पड़ता है |
अतः फलादेश करने के लिए घटना के प्रमुख /सहयोगी भावो के विरोधी भावो का विचार करके ही निर्णय लिया जाना चाहिए |